
फिल्मी दुनिया के कलाकार अपने किरदार को निभाने के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं. इन सितारों की यही कोशिश रहती है कि वह अपने किरदार में ढल जाएं और ऐसी परफॉर्मेंस दें कि देखने वालों को यह बिल्कुल असली लगे. लेकिन कई बार शूटिंग के दौरान कुछ ऐसी घटनाएं हो जाती हैं, जो इन सितारों के लिए जिंदगी भर के लिए नासूर बन जाती हैं. ऐसा ही कुछ अभिनेत्री ललिता पवार के साथ हुआ था.
फिल्म ‘हिम्मत-ए-मर्दा’ 1934 में रिलीज हुई थी. यह फिल्म अभिनेता भगवान दादा की पहली फिल्म थी, जिसमें ललिता पवार मुख्य भूमिका में थीं. उस समय ललिता पवार टॉप एक्ट्रेसेस में शुमार थीं. इस फिल्म के एक सीन में भगवान दादा को ललिता पवार को थप्पड़ मारना था. लेकिन भगवान दादा ने ललिता पवार को इतना जोरदार थप्पड़ मारा कि वह 2 दिन तक कोमा में रहीं और उनके चेहरे पर पैरालिसिस हो गया.
ललिता पवार थप्पड़ पड़ने के बाद जमीन पर जोर से गिर पड़ी थीं, जिसके बाद वह कोमा में चली गईं. उन्हें दो दिन बाद होश आया था. इसके बाद पता चला कि उन्हें फेसिअल पैरालिसिस हो गया है. 4 सालों तक ललिता पवार का इलाज चला और इस दौरान वह फिल्मी दुनिया से दूर रहीं. हालांकि इस घटना से उनका चेहरा खराब हो गया और उनका फिल्मी करियर भी बर्बाद हो गया.
भगवान दादा भारतीय सिनेमा के पहले डांसिंग और एक्शन स्टार माने जाते हैं. उनका जन्म 1919 में एक टेक्सटाइल मिल मजदूर के यहां हुआ था. भगवान दादा का पूरा नाम भगवान आभाजी पालव था. कामयाबी के दौर में भगवान दादा के पास भरपूर पैसा था. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उस दौर में उनके पास 7 कारें थीं. कहा जाता है कि वो हफ्ते के हर एक दिन अलग कार से सेट पर पहुंचते थे.